मूली के आश्चर्यजनक फायदे व लीवर में उपयोग (Benefit of Radish)

Muli


मूली के फायदे व उपयोग Benefit of Radish in Hindi



इस लेख में आपको मूली के खाने के आश्चर्यजनक फायदे, नुकसान व लीवर के रोगों में मूली के उपयोग के बारे में बताने जा रेहे हैं । इसे मूली या मुला, मुड़ा, अरबी में फजालहुज़ल, दीर्घ कन्द कहते हैं ।



यह पूरे भारत में सब्जी व सलाद के रूप मे प्रयोग की जाती है । इसके तीनो भाग जड़, पत्ती व बीज का खाने में प्रयोग किया जाता है । इसके बीज सरसों की तरह के किन्तु थोड़े बड़े होते हैं ।



मूली व इसके बीजो मे स्थिर तेल पाया जाता है । लेकिन इसके बीजों में उड़नशील तेल भी पाया जाता है । मूली का वैज्ञानिक नाम Raphanus sativus L. है । इसको इंग्लिश मे Radish कहा जाता है।



मूली के गुण(Muli ke gun):



  • मूली सभी प्रकार की सूजन मे उपयोगी है ।


    • यह लीवर को मजबूती प्रदान करती है ।


      • मूली पाचनशक्ति को बढ़ती है ।


        • यह हृदेय रोग मे फायदेमंद है ।


          • कच्ची मूली उष्ण,तीक्ष्ण, मधुर होती है ।


            • यह खाँसी व श्वास रोग मे भी प्रयोग की जाती है ।


              • पकी हुई मूली गर्म व चरपरी होती है ।



                • इसकी फली थोड़ी गर्म व कफ व वात नाशक होती है ।



                मूली के फायदे (Muli ke Fayde):




                1.पीलिया में इसका सेवन लाभदायक होता है (Muli ke Labh) :




                • पीलिया का रोग लीवर की कमजोरी के कारण होता है। मूली का सेवन प्रतिदिन करने से से लीवर की समस्या नही होने पाती, लीवर मजबूत बना रहता है। जिससे शरीर मे खून की मात्रा नियंत्रित रहती है व पीलिया रोग नही होता है ।



                  • मूली के ताजे पत्ते पानी के साथ पीसने के बाद उबाल लिया जाता है , उबलते समय इसमें झाग उठ जाता है।  पानी को छान कर दिन मे तीन बार पीलिया के रोगी को पिलाने से पिलाया रोग मे आराम मिल जाता है ।



                      • मूली का सवरस बनाकर 75 ग्राम रस में 40 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से पीलिया मे लाभ मिलता है ।



                        • मूली की सब्जी बनाकर लगातार कुछ दिन तक सेवन करने से भी पीलिया रोग मे आराम मिल जाता है ।



                          • मूली व इसके पत्तों का स्वारस निकाल कर  हर रोज इसकी 20-20 ग्राम मात्रा दिन मे दो बार पीने से पीलिया  रोग मे आराम होता है ।


                          मूली
                          Muli


                          2.पाचन शक्ति को मजबूत करती है मूली (Muli ke Fayde):




                          मूली का प्रयोग करते रहने से पाचन क्रिया ठीक रहती है । इसका प्रयोग भोजन करने के बाद करना चाहिए, इससे भोजन आसानी से पच जाता है । भोजन से पहले इसका प्रयोग पाचन मे भारी होता है ।



                          3. गुर्दे (kidney) के विकारो को दूर करती है मूली:




                          • मूत्रघात अथवा मूत्र का रुकजाना में मूली का सेवन करने से मूत्र फिर से आना शुरू हो जाता है ।


                            • गुर्दे मे अगर दर्द हो जाये तो मूली के  100 ग्राम रस में कलमी शोरा 10 ग्राम मिलाकर कर घोट कर रस को सूखा लें, फिर इसकी गोली बनाकर 1 से 2 गोली दिन में दो बार देना चाहिए।



                              • गुर्दे की खराबी के कारण यदि मूत्र बनना बंद हो जाये तो मूली का 20 से 40 ग्राम रस दिन मे दो तीन बार पीने से इस समस्या का समाधान हो जाता है ।







                              4.पथरी को निकालने मे मदद करती है मूली ( Muli ke Fayde) :



                              • मूली के पत्ते के 100 ग्राम रस में तीन ग्राम अजमोद मिलाकर  रोगी को दिन में तीन बार देने से पथरी बाहर निकाल जाती है ।



                                • मूली की शाखों का रस निकाल कर  रोगी को दिन मे तीन बार पिलाने से पथरी के छोटे टुकड़े हो जाते है व पथरी बहर निकल जाती है ।



                                • इसके बीजो की 1 से 5 ग्राम की मात्रा दिन मे तीन चार बार देने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है ।



                                5. अर्श मे फायदा करती है मूली (Muli ke Fayde):




                                • मूली के बीस ग्राम रस में 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर कुछ दिन लगातार सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाती है ।



                                • मूली बवासीर के लिए एक प्रसिद्ध दवा है , इसकी मात्र सब्जी बनाकर खाने से भी रोगी को लाभ मिल जाता है।



                                • मूली के पत्तों को अच्छी तरह सुखाकर पीस ले , फिर इतनी ही मात्रा मे शक्कर मिला लें, इसकी 25 से 30 ग्राम मात्रा का सेवन  40 दिन तक करने से भी इस रोग मे लाभ मिलता है ।



                                • सुखी हुई मूली की पुल्टिस बनाकर मस्सो की सिकाई करने से मस्सो मे आराम मिल जाता है ।



                                6. कानों के दर्द में उपयोग (Muli ke Upyog):




                                मूली के रस को निकाल कर इसे तिल के तेल मे जलाकर कान मे दो दो बूंद डालने से कान दर्द में आराम मिल जाता है ।




                                7. अम्लपित को दूर करती है (Muli ke Fayde):




                                मुलायम व कोमल मूली को मिश्री मिलाकर खाने से अम्लपित्त नही बनता है , मूली के पत्तो के दस से बीस ग्राम रस में मिश्री मिला कर लगातार सेवन करने से भी पित्त नही बनता है ।



                                Mooli
                                मूली






                                8. मूली का अन्य रोगों मे प्रयोग (Muli ke Prayog):




                                • मूली के बीजों को पीस कर इसकी 5 से 10 ग्राम मात्रा गर्म पानी से पीने से गला साफ हो जाता है ।



                                • मूली के पत्ते के स्वारस में स्वादानुसार नमक व पिसी हुई कालीमिर्च मिला कर सेवन करने से पेट दर्द मे आराम मिल जाता है ।



                                • मूली के बीज के चूर्ण की मात्र 3 ग्राम मात्रा देने से रुक हुआ मासिकधर्म फिर से शुरू हो जाता है ।



                                • मूली के बीजों को नींबू के रस के साथ पीस कर दाद मे लगाने से दाद ठीक हो जाता है ।



                                • मूली का रस आंखों मे लगाने से आँखों का जला व धुंध दूर हो जाती है ।



                                विशेष:




                                वैसे तो मूली का उपयोग हर घर मे होता है, इसका उपयोग सलाद, सब्जी, के रूप में किया जाता है कुछ लोग इसका पराठा बनाकर भी खाते है । इसके अलावा मूली के अनेक औषधीय प्रयोग है, इसका सेवन करने से ब्लड सुगर, व केंसर जैसी बीमारी नजदीक नही आती है, तथा पेट भी दुरुस्त रहता है । इसका सेवन करते रहना चाहिए, सर्दियो मे मूली का उपयोग रात को ना करे तो अच्छा है ।


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