अलसी के बीज के फायदे- alsi ke beej ke fayde in hindi |
इस लेख में अलसी के फायदे एवम् इसके औषधीय गुण का वर्णन किया गया है । अलसी का प्रयोग अनेक रोगों के उपचार में किया जाता है, हमारे देश में इसे अलसी, तीसी, नीलपुष्पी, अट्सी व जवसू आदि नामों से जाना जाता है । अलसी को इंग्लिश में Linseed, flaxseed कहा जाता है। स्थान भेद के कारण इसके रंग व आकार में तीसी के बीजों में अन्तर पाया जाता है।
तीसी के बीज सफेद, पीले, लाल कई तरह के होते हैं । Alsi ke beej से तेल व इसके डंठल से फाइबर बनता है। यह फाइबर कपड़ा बुनने के काम आता है । अलसी का पौधा 2 से 4 फुट ऊंचा होता है। अलसी के पौधे में सर्दियों में फूल व फल आते है, फरवरी - मार्च में फल पूरी तरह सूख जाते हैं ।
अलसी के बीज |
तीसी के बीजों में एक स्थिर तेल होता है, जिसमें लिनोलिक तथा लिरोलेनिक के ग्लिसराइड होते है । अलसी के बीजों में जहरीला ग्लूकोसाइड पाया जाता है । इसके अलावा अलसी के बीजों में प्रोटीन, म्यूसिलेज, रालिए पदार्थ तथा फास्फेट व शर्करा के अंश पाए जाते हैं । अलसी के औषधीय गुण बहुत से है।
अलसी के फायदे एवम् औषधीय गुण (alsi ke fayde evam aushdhiye gun):
अलसी के बीज उष्ण, सनिग्ध, मधुर, मंद गंधयुक्त, चरपरी, व बलकारक, शोथहर, और थोड़ी मात्रा में मूत्रकारक होते है । तीसी वातनशक होती है। अलसी का तेल मधुर, वतनाशक, मलकराक, भारी व गरम होता है। अलसी के पत्ते के खांसी, श्वास, कफ वातनाशक होता है, इसके ताजे हरे पत्ते से सब्जी बनती है, जो वातग्रस्थ रोगियों के लिए विशेष उपयोगी है। अलसी के फूल रक्त पित्तनाशक होते हैं ।
अलसी के उपयोग(Alsi ke upyog):
1. अलसी के बीज के फायदे, खांसी व श्वास के रोग में - alsi ke beej ke fayde
- अलसी के बीज 3 ग्राम लेकर 250 ग्राम तुरंत उबले पानी में डुबोकर एक घंटे के लिए रख दें । इसके बाद छान कर थोड़ी शक्कर मिला कर पीने से खांसी ढीली हो जाती है व सांस की घबराहट काम हो जती है ।
- अलसी के बीज 5 ग्राम को कूट कर छानकर जल में उबालें । फिर इसमें 20 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह शाम सेवन करे। सर्दियों में मिश्री की जगह शहद का प्रयोग करें ।
- अलसी के बीज को भून लें, फिर इसमें शहद मिलाकर चाटने से खांसी व श्वास रोग में फायदा होता है ।
- अलसी के बीज 5 ग्राम लेकर इसे 50 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें, लगभग 12 घंटे बाद इस पानी को पी लेवें । सुबह भिगोया हुआ शाम को सेवन करें व शाम को भिगोया हुआ सुबह सेवन करें। इस प्रयोग से श्वास के रोगी में लाभ होता है।
- अलसी को मंद आग पर भून कर पीस कर इसमें अलसी की बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें, इसकी 5 - 5 ग्राम मात्रा सुबह शाम गुनगुने जल के साथ सेवन करने से जुकाम में फायदा हो जाता है ।
2. अलसी के फायदे मूत्र विकार में (benefits of flexseed in hindi) :
- 10 ग्राम अलसी व 6 ग्राम मुलेठी को कूट कर इसमें एक ली. पानी मिला कर उबालें, जब यह अठवा हिस्सा बाकी राह जाए तो इसकी 25 ग्राम मात्रा में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 3 घंटे के अंतराल पर देने से जलन दूर होकर मूत्र साफ़ होने लगता है ।
- अलसी व मुलेठी बराबर मात्रा में लेकर कूट लें, इस मिश्रण को 40 से 50 ग्राम मात्रा को मिट्टी के बर्तन में डालकर इसमें 1 ली. पानी डाल कर ढककर रखें । एक घंटे बाद छान कर इसमें 25 ग्राम कल्मीशोरा मिलाकर बोतल में रख दें । इस जल की 25 से 30 मिलीग्राम मात्रा का सेवन करने से पेशाब रुक कर आना व पेशाब में जलन होना व पेशाब के अन्य रोग ठीक होते हैं ।
3. अलसी का फायदा आग से जले में(alsi ke fayde) :
अलसी का तेल व चूने का निथरा जल बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह घोट लें , घोटने से यह सफेद मलहम जैसा हो जाता है । इसे carron oil के नाम से जाना जाता है । इसको आग से जले स्थान पर दिन में दो बार कुछ दिन लगाने से घाव की पीड़ा दूर होकर ठीक हो जाता है ।
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4. अलसी के बीज का फोड़ा-फुंसी में उपयोग (alsi ke upyog) :
- अलसी को पानी में पीस कर इसमें जौं का सत्तू मिलाकर खट्टी दही के साथ मिलाकर फॉड पर लेप करने से फोड़ा पक जाता है ।
- फोड़े में जलन व दर्द हो तो अलसी व तिल को भून कर गाय के दूध के साथ उबाल कर ठंडा हो जाने के बाद फिर इसी दूध में पीस कर फोड़े पर लेप करने से फायदा होता है ।
5. वात व कफ संबंधित रोग में अलसी के फायदे (alsi ke Fayde):
50 ग्राम अलसी को तवे पर भून कर इसका चूर्ण बनाकर इसमें 50 ग्राम मिश्री व 10 ग्राम मिर्च का चूर्ण मिलाकर फिर शहद के साथ घोटकर 3 से 6 ग्राम की गोलियां बना लें । बच्चो को इसकी 3 ग्राम की मात्रा तथा बड़ों को इसकी 6 ग्राम की गोली प्रातः काल सेवन कराने से वात व कफ जन्य विकारों में लाभ मिलता है ।
alsi ka podha |
6. सिरदर्द व निद्रा में अलसी के फायदे (benefits of flexseed in hindi) :
- अरंडी व अलसी का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर कांसे के बर्तन में घोट कर आंख में सुरमे की तरह लगाने से नीद अच्छी आती है ।
- अलसी के बीज को जल में पीस कर लेप करने से सिरदर्द व मस्तिष्क पीड़ा में फायदा होता है ।
विशेष:
अलसी का सेवन बहुत ही लाभकारी है, अलसी का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, अलसी की अधिक मात्रा में सेवन करने से कब्ज की शिकायत हो सकती है । जबकि इसकी उचित मात्रा में सेवन करने से पेट साफ होता है ।
अधिक मात्रा में अलसी के बीज का सेवन करने से एलर्जी भी हो जाती है, इस लिए अलसी का प्रयोग उचित मात्रा में ही करना चाहिए । जटिल रोग में अलसी व अलसी के तेल का प्रयोग किसी चिकित्सक के परामर्श पर करे । आशा करता हूं कि आप को यह लेख पसंद आया होगा।
इस लेख में अलसी के फायदे (alsi ke fayde) एवं अलसी के औषधीय गुण का वर्णन किया गया है । आशा करते है यह लेख आपको अवश्य पसंद आया होगा ।
अधिक मात्रा में अलसी के बीज का सेवन करने से एलर्जी भी हो जाती है, इस लिए अलसी का प्रयोग उचित मात्रा में ही करना चाहिए । जटिल रोग में अलसी व अलसी के तेल का प्रयोग किसी चिकित्सक के परामर्श पर करे । आशा करता हूं कि आप को यह लेख पसंद आया होगा।
इस लेख में अलसी के फायदे (alsi ke fayde) एवं अलसी के औषधीय गुण का वर्णन किया गया है । आशा करते है यह लेख आपको अवश्य पसंद आया होगा ।
धन्यवाद ।